Skip to main content

The Science of getting Rich|| D.WATTLES WALLANCE AND WALLANCE D. WATTLES

इंट्रोडक्शन (Introduction) क्या आप अमीर होने का ख्वाब देखते है? क्या आप एक अच्छी लाइफ जीना चाहते हो? क्या आप लाइफ में बेस्ट बनना चाहते हो? तो इस बुक में आप सक्सेस, हैप्पीनेस और अमीर बनने का सीक्रेट पढेंगे. आप चाहे जिस बैकग्राउंड से बिलोंग करते हो, फिर भी आप अमीर हो सकते हो. आपके सपने सच हो सकते है. क्योंकि ये बुक आपको अमीर बनने का एक्जेक्ट तरीका बताएगी. बस आपको वो टेक्नीक्स और गाइडलाइन्स फोलो करनी होगी जो इस बुक में दी गयी है. जो लाइफ आप जीना चाहते हो, आपसे ज्यादा दूर नहीं है. पर इसके लिए आपको एक सर्टेन वे में सोचना होगा. जो आपके पास है, आपको दूसरो के प्रति थैंकफुल होना चाहिए. आपकी कोशिश यही हो कि आप दूसरो के काम आ सके. आप इस बुक में पढ़ी हुई बातो को अपनी लाइफ में अप्लाई करोगे तो आपको कोई भी अमीर होने से नहीं रोक पायेगा.    द राईट टू बी रिच (The Right to be Rich) क्या अमीर होने की चाहत रखना गलत है? ऐसा कौन है जो एक आराम की लाइफ नहीं चाहता? क्या ये सपना देखना गलत है? नहीं, बिलकुल नहीं. अमीरी का मतलब सिर्फ पैसे से नहीं है. बल्कि इसका मतलब है कि आपके पास ऐसे टूल्स होने चाहि...

Contact Us

Contact Us

If you have any query regrading Site, Advertisement and any other issue, please feel free to contact at tanish007dhiman @gmail.com

Comments

Popular posts from this blog

The Tatas:How a Family Built The Business

इंट्रोडक्शन (परिचय)  टाटा ग्रुप एक इन्डियन ग्लोबल बिजनेस है और ये बात हम प्राउड से बोल सकते है. लेकिन टाटा ग्रुप की इस फेनामोंनल सक्सेस का राज़ क्या है? कैसे उनका सफर शुरू हुआ? टाटा कल्चर क्या है? नाम, पॉवर, पैसा और सक्सेस– टाटा के पास सबकुछ है. लेकिन ऐसा क्या है जो उन्हें दुनिया के बाकि बिलेनियर्स से अलग बनाता है? आपके इन्ही सब सवालों के जवाब और बाकि और भी बहुत सी बाते आप इस बुक में पढेंगे.    नुस्सेरवांजी ऑफ़ नवसारी (Nusserwanji of Navsari) टाटा ग्रुप की शुरुवात एक इंसान ने की थी जिनका नाम था नुस्सरवान (Nusserwan). 1822 में जब उनका जन्म हुआ था तो एक एस्ट्रोलोजर ने कहा था कि एक दिन नुसरवान सारी दुनिया में राज़ करेगा.  वो बहुत अमीर आदमी बनेगा लेकिन नवसारी में पैदा हुआ हर एक बच्चा अच्छी किस्मत लेकर ही पैदा होता था. लेकिन नुसरवांजी टाटा औरो से अलग थे क्योंकि उन्होंने उस एस्ट्रोलोज़र की बात को सच कर दिखाया था. जैसा कि उन दिनों रिवाज़ था, नुसरवांजी टाटा की भी बचपन में ही शादी करा दी गई थी. और 17 साल की उम्र में वो एक बेटे के बाप भी बन गए थे. बच्चे का नाम जमशेद रखा गया....

See You At The Top|| ZIG ZIGLAR

इंट्रोडक्शन (Introduction)   राल्फ वाल्डो एमर्सन (Ralph Waldo Emerson ) ने एक बार कहा था” बीता हुआ कल और आने वाला कल उतना इम्पोर्टेंट नहीं है जितना कि अभी जो हमारे अंदर चल रहा है वो इम्पोर्टेंट है”. तो आप अभी अपनी लाइफ में कहाँ पर है? क्या आपको लगता है कि आपने अपनी सारी एबिलिटीज यूज़ कर ली है? क्या आपने अब तक अपना बेस्ट किया है? या शायद आपको लगता है कि अभी तक आपने अपनी लाइफ में कुछ भी अचीव नहीं किया जो आप डिजर्व करते हो. अगर ऐसी बात है तो ये बुक summary आपके हिसाब से एकदम परफेक्ट चॉइस है. कई बार हम लोगो को देखते है और खुद से पूछते है” क्या मै भी कभी ऐसा बन पाउँगा…अगर मेरे पास ये होता या वो होता तो मै भी सक्सेसफुल होता. लेकिन ये बड़ी नेगेटिव थिंकिंग है. अभी इसी टाइम, इसी मोमेंट आपके पास वो सब कुछ है जो आपको सक्सेसफुल होने के लिए चाहिए. क्योंकि आपके पास आप खुद हो और वो सब कुछ है जो आपको टॉप पे ले जा सकता है. एक बड़ी पोपुलर स्टोरी है एक ओल्ड मेन के बारे में जो मरने वाला था. अपने आखिरी पलो में उस आदमी को पता चला कि जिस घर में वो इतने सालो से रह रहा था, उसके नीचे असल में सोन...

The power of Habit ||

भूमिका आज सुबह जब आप नींद से जगे, आपने सबसे पहले क्या किया? लपक कर शावर के नीचे चले गए, ईमेल चेक किया, या किचन काउंटर से एक डोनट उठा लिया? आपने नहाने से पहले दाँतों को ब्रश किया या बाद में?  काम पर किस रास्ते से ड्राइव करते हुए गए? जब आप घर लौटे, तब क्या आपने स्नीकर्स पहना और दौड़ने निकल पड़े, या अपने लिए एक ड्रिंक ग्लास में डाला और टीवी के सामने डिनर के लिए बैठ गए? विलियम जेम्स ने 1892 में लिखा था, “हमारा पूरा जीवन, जब तक यह एक निश्चित आकार में है, आदतों का पुंज है ।” हर दिन किए गए चुनाव हमें सोच-समझ कर लिए गए निर्णयों के परिणाम लग सकते हैं, पर वे हैं नहीं। वे आदतें हैं। और हालांकि हर आदत का अपने-आप में कुछ मायने नहीं होता, समय के साथ, हम किस खाने का ऑर्डर देते हैं, बचत करते हैं या खर्च करते हैं, कितने अक्सर कसरत करते हैं, और जिस तरह हम आपनी सोचों और काम की रूटीन को संवारते हैं – इनका हमारे स्वास्थ्य, प्रोडक्टिविटी, फायनैंशियल सिक्योरिटी और प्रसन्नता पर बहुत बड़ा प्रभाव पड़ता है। 2006 में प्रकाशित किए गए ड्यूक यूनिवर्सिटी के एक रिसर्चर के पेपर ने पाया कि लोगों द्वारा किए गए 40 प्र...